TERE MERE DARMIYAAN - 1 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 1

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तेरे मेरे दरमियान - 1

एपिसोड 1

शाम का समय था । जानवी अपने पापा अशोक मुखर्जी से अपने पसंद के लड़के से शादी करने की जिद कर रही थी । जिस कारण से अशोक अपनी एकलौती बेटी जानवी को डांटता है । अशोक धनबाद शहर का एक जाना माना शक्श है जिसकी शभी बहोत इज्जत करते है , अशोक अपनी बेटी जानवी को बहोत प्यार करता है , अशोक का काम बैंगलोर शहर मे भी जमा रखा है इसिलिए वो अपनी बेटी जानवी और पत्नी राधिका के साथ बैंगलोर शिफ्ट हो गया था। अशोक ने जानवी को बहोत लाड़ से पाला है इसिलिए अशोक चाहता है की उसकी बेटी की शादी एक अच्छे  इंसान और एक अच्छे खानदान मे हो । अशोक अपनी बेटी जानवी के लिए एक अच्छे घर और खानदान से उसकी शादी का रिस्ता लाया है पर जानवी किसी और से प्यार करती है और उस लड़के को अशोक बिल्कुल भी पंसद नही करता है । जिसके कारण दोनो मे बहस होने लगती है ।

अशोक :- नही जानवी तुम जो चाहती हो वो कभी नही होगा । क्योकि तुम उस लंफगे विकाश को जानती ही नही हो । वो तुमसे नही मेरी दौलत से प्यार करता है । 
जानवी विकाश के बारे मे ऐसा सुनकर अपने पापा से नाराज होकर कहती है ।

जानवी :- पापा । आप क्यो नही समझ रहे हो । वो सिर्फ मुझसे ही प्यार करता है ना की आपकी दौलत से । उसे आपकी दौलत की कोई जरुरत नही है । वो सिर्फ मुझसे प्यार करता है और मैं उसके अलावा किसी और से शादी नही कर सकती । 

अशोक :- और मैं तुम्हें उस लंफगे से शादी कभी करने नही दूगां । सारा शहर जानता है के विकाश किस तरह की लड़का है । सारा दिन शराब और जुआ और भी कितनी बुरी आदत है उसके जो मैं एक पिता होकर तुमसे कह नही सकता । बेटा तुम मेरी एकलोती औलाद हो । मेरा जो कुछ भी है सब कुछ तुम्हारा ही तो है । तुम्हारे खुशी के लिए ही तो मैं ये सब कर रहा हूं । और तुम एक ऐसे इंसान से शादी की जिद कर रही हो । जिससे अगर तुम्हारी शादी हो गई तो तुम्हारी जिंदगी नर्क बन जाएगी । और मैं जानबुझकर तुम्हारा life बर्बाद नही कर सकता ।

अशोक की बात पर जानवी गुस्सा होकर कहती है । 

जानवी :- तो फिर ठिक है । आप भी मेरा सुन लिजिए । मैं शादी सिर्फ और सिर्फ विकास से ही करुँगी । चाहे उसमे आपकी मर्जी हो या ना हो ।

इतना बोलकर जानवी वहां से चली चाहती है । अशोक उसे रोकने की कोशिश करता है पर जानवी अपने रुम मे चली जाती है और दरवाजा बंद कर देती है ।

अशोक अपनी बेटी की जिद को दैखकर टेंशन मे वही सोफे पर बैठ जाता है । और विकाश से मिलने घर से गाड़ी लेकर निकल जाता है ।

इधर दुसरी तरफ आदित्य तिवारी जो भारत के एक बहोत बड़े बिजनेसमैन का छोटा बेटा है , वो फोन पर अपनी गर्लफ्रेंड मोनिका से बात कर रहा था । आदित्य अपना घर छौड़कर बैंगलोर शहर मे आ गया था । यहां पर वो अपनी पहचान छुपा कर रखा था और आदित्य भारत के एक सॉफ्टवेयर कंपनी मे काम करता है ।

आदित्य का सपना है के वो अपनी कंपनी खोले और उसे अपने दम पर उँचाई तक पहूँचाए । आदित्य अपनी ये पहचान सभी से छुरा रखा था और एक सॉफ्टवेयर कंपनी मे काम करता रहा था । आदित्य अपनी पड़ाई लंडन हारवार्ड युनिवर्सिटी से किया है ।

आदित्य जब अपना पड़ाई पुरी करके घर आया था तब उसके पापा चाहते थे के आदित्य उसके कंपनी को ज्वाईन करे क्योकी एक समय ऐसा था जब कंपनी डुबने के कगार पर थी तब आदित्य ने उसे फिर से खड़ा किया और नई उँचाई तक पहूँचाया । जिससे के लिए विद्युत चाहता था के आदित्य अब कंपनी को टेक ओवर करे ।

पर आदित्य  चाहता था के वो अपने दम पर एक नई बिजनेस सुरु करे अपने पिता के नाम के बिना अपनी मेहनत और अपनी लगन से वो कुछ करना चाहता था । इसिलिए आदित्य अपने पापा के कंपनी को ज्वाईन नही कर रहा था । जिससे विद्युत बहोत नाराज था और बहोत गुस्सा था । आदित्य भी बिल्कुल अपने पापा के तरह ही गुस्से वाला था । जिससे विद्युत उसे समझाते रहता था ।
 
पर आदित्य के गुस्सेल रवैया के कारण विद्युत उसे डांटता है और कहता है ।

विद्युत: - एक कंपनी को खड़ा करना बहोत मुश्किल है । तुम अपने दम पर नही कर पाओगे । और फिर तुम्हारा गुस्सा ।
तब आदित्य अपने पापा से कहता है ।

आदित्य :- पापा मे अपने दम पर पाँच साल मे कुछ करके दिखाउगा वो भी अपना आईडेंटिटी छुपा कर । और अपने गुस्से पर भी कंट्रोल करके दिखाएगा ।

इतना बोलकर आदित्य अपने घर से निकल जाता है और अपना पहचान बनाने मे लग जाता है । आदित्य अपनी गर्लफ्रेंड से बात करते हूए कहता है ।

आदित्य: - ये तुम क्या बोल रही हो मोनिका । तुम्हारे घर वाले ने खुद मुझसे वादा किया था के वो लोग हम दोनो की शादी करवाऐगें , तो फिर आज अचानक से तुम्हें लड़के वाले दैखने आ रहे है का क्या मतलब ?

मोनिका :- मैं क्या करु आदित्य । मेरे घर वाले जिससे मेरा शादी करवाना चाहते है वो बहोत बड़े घर से है । उनके पास बड़ा घर , बंगला , गाड़ी , पैसा सब कुछ है । 
आदित्य: - ये सब तुम्हारे घर वाले कह रहै है या तुम मुझे बता रही हो । 

आदित्य की बात सुनकर मोनिका गुस्से से कहती है ।

मोनिका: - तुम कहना क्या चाहते हो ?

आदित्य: - तो फिर मैं और क्या बोलु मोनिका । तुम अपने पेरेंट्स से बात क्यों नही कर रही हो । तुम जानती हो मोनिका के मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ । 
मोनिका :- तो फिर तुम ही बताओ मैं क्या करूं । तुम क्या चाहते हो के मैं घर से तुम्हारे साथ भाग जाउ ?

आदित्य: - मैं घर से भागने नही बोल रहा हूँ । पर तुम ये बता सकती हो के कल तक तो सब ठिक था पर आज अचानक से ऐसा क्या हो गया ।

मोनिका :- देखो आदित्य, जो रहा है मुझे नही लगता के कुछ गलत हो रहा है । मेरे पेरेंट्स जो भी फेसला लेगें मेरे अच्छे फ्यूचर के लिए ही लेंगे और मैं उसे मानुगीं । और वैसे भी वो लोग बहोत रईस है मुझे बहोत खुश रखेगा । 

आदित्य: - और हमारा प्यार मोनिका ?

मोनिका :- कुछ दिन बुरा लगेगा फिर सब ठिक हो जाएगा । देखो आदित्य तुम मुझे प्यार बहोत करते हो मैं जानती हूँ । पर तुम एक अच्छे लाइफ पार्टनर नही बन सकते ।

आदित्य :- पर क्यों नही बन सकता ।

मोनिका :- क्योकी तुम एक लूजर हो और तुम्हारे साथ रहकर मैं अपनी जिदंगी बर्बाद नही कर सकती । और वैसे भी तुम मेरे सपने पूरे नही कर सकते । इसिलिए अब अच्छा यही होगा के अबसे ना तो तुम मुझे कॉल करोगे और ना ही मिलने की कोशिश । आज से ना तुम मुझे जानते हो ना मैं तुम्हें । जो हूआ उसे यही खतम करते है ।